Description
मैं गुनहगार हूँ
लेखक – मोहन मौर्य
पृष्ठ – 212
जासूसी उपन्यास पढ़ने का शौकीन 38 वर्षीय आई टी प्रोफेशनल राहुल वर्मा जब ड्रग्स केस में फंसी एक 22 वर्षीय खूबसूरत लड़की को बेगुनाह साबित करने निकला तो खुद एक ऐसा गुनाह कर बैठा था, जिसकी वजह से ना सिर्फ एक बेगुनाह फांसी के फंदे पर जा पहुँचा बल्कि उसका खुद का भी जीना दुश्वार हो गया।अपनी आत्मा पर लगे ‘मैं गुनहगार हूं’ के दाग को मिटाने के लिये फिर उसने जो रास्ता चुना, उसने आगे चल कर ऐसा रुख अख्तियार किया जिसने न सिर्फ हैदराबाद के ड्रग्स माफिया को हिला डाला बल्कि उसकी खुद की जान के लाले भी पड़ गए।
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