Bangla No. 420/बंगला नंबर 420 – Parshuram Sharma

Bangla No. 420/बंगला नंबर 420 – Parshuram Sharma

पहला बयान

“और जब मेरी आँख खुली तो न सिर्फ मेरा बेडरूम, मेरा लिबास अजनबी था बल्कि मेरा जिस्म और मेरी शक्ल भी मेरी अपनी नहीं थी । मैं अपने बंगले में सोया था पर आँख खुली बंगला नंबर 420 में ।

दूसरा बयान

“मैंने खुद अपनी लाश बंगला नंबर 420 में देखी है, इंस्पेक्टर ।”

तीसरा बयान

“धुएं का आदमी – हाँ – धुएं का आदमी । वह इंसानों का खून पीता है और जिसका भी खून वो पी लेता है वो उसका गुलाम होकर रह जाता है । बंगला नंबर 420 में उसकी पूजा होती है ।”

हॉरर, थ्रिल और सस्पेंस से लबरेज सुप्रसिद्ध लेखक परशुराम शर्मा का महाविशेषांक

Description

पहला बयान

“और जब मेरी आँख खुली तो ं सिर्फ मेरा बेडरूम, मेरा लिबास अजनबी था बल्कि मेरा जिस्म और मेरी शक्ल भी अपनी नहीं थी । मैं अपने बंगले में सोया था पर आँख खुली बंगला नंबर 420 में ।

दूसरा बयान

“मैंने खुद अपनी लाश बंगला नंबर 420 में देखि है, इंस्पेक्टर ।”

तीसरा बयान

“धुएं का आदमी – हाँ – धुएं का आदमी । वह इंसानों का खून पीता है और जिसका भी खून वो पी लेता है वो उसका गुलाम होकर रह जाता है । बंगला नंबर 420 में उसकी पूजा होती है ।”

हॉरर, थ्रिल और सस्पेंस से लबरेज सुप्रसिद्ध लेखक परशुराम शर्मा का महाविशेषांक

Additional information

Weight 220 kg
Dimensions 22 × 12 × 1.4 cm

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