Brahmakalash: Divya Amrit Patra | Shivendra Suryavanshi || ब्रह्मकलश: दिव्य अमृत पात्र | शिवेंद्र सूर्यवंशी

Brahmakalash: Divya Amrit Patra | Shivendra Suryavanshi || ब्रह्मकलश: दिव्य अमृत पात्र | शिवेंद्र सूर्यवंशी

हिमालय- पृथ्वी की सबसे श्रेष्ठतम् पर्वत श्रृँखला, जो अपने अंदर हजारों रहस्यों को छिपाये हुए है। हिमालय- देवताओं का वह स्थान, जो आज भी पौराणिक स्मरणों से भरा हुआ है और इसके कण-कण में पवित्रता बिखरी हुई है। लोग कहते हैं कि आज भी देवता इसी स्थान पर निवास करते हैं। इसी हिमालय में अपराजेय कैलाश पर्वत भी है और माँ गंगे की कल-कल करती हुई पवित्र धारा का उद्गम भी। इसी हिमालय पर बाघम्भरधारी भोलेनाथ का निवास भी है और चतुर्मुखी परम पिता ब्रह्मदेव की अद्भुत छिपी हुई नगरी भी।

हिमालय के अति दुर्गम क्षेत्र में एक ऐसी अद्भुत नगरी है, जिसे ज्ञानगंज के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार ज्ञानगंज का निर्माण स्वयं ब्रह्मदेव ने किया था। ज्ञानगंज को तिब्बती भाषा में शांग्री-ला, बुद्धिष्ठ भाषा में शंभाला व संस्कृत भाषा में सिद्धआश्रम के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि ब्रह्मदेव ने ज्ञानगंज का निर्माण, समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत को छिपाने के लिये किया था। परंतु उसी अमृत के प्रभाव से यह पूरा स्थान अमृतमई हो गया। यह स्थान एक अलग आयाम में स्थित है, इसलिये यहाँ पर समय पूर्ण रुप से रुक जाता है। समय के रुकने के कारण यहाँ पर रहने वाला व्यक्ति, अमरत्व को प्राप्त कर लेता है। इस स्थान पर प्रकृति का कोई नियम कार्य नहीं करता? यहाँ विशाल पत्थर वायु में विचरण करते हैं। कहते हैं कि इस स्थान पर ब्रह्मदेव ने एक ऐसी दैवीय शक्ति को रखा है, जो इस स्थान को दुनिया की दृष्टि से छिपाए रखती है।

देवयोद्धा आर्यन जब चमत्कारी विद्यालय ‘वेदालय’ से शिक्षा प्राप्त कर बाहर निकला, तो उसने ब्रह्मांड रक्षक बनने के स्थान पर, शलाका से विवाह करने का विकल्प चुना। परंतु जब आर्यन को अपनी अल्प आयु के बारे में ज्ञात हुआ, तो उसे अमृत की आवश्यकता महसूस हुई। तब आर्यन अमृत को प्राप्त करने के लिये ज्ञानगंज की ओर चल दिया। परंतु अमृत को प्राप्त करने के मार्ग में, आर्यन को अनेकों योद्धाओं व रहस्यमई शक्तियों से टकराना पड़ा। तो आइये इन रहस्यों की गठरी पर लगी एक-एक गाँठ को शनैः-शनैः खोलने का प्रयास करते हैं-
1) स्वर्णाक्ष द्वीप की सुनहरी रेत का क्या रहस्य था?
2) महाकाल पर्वत के शिखर को महादेव के मुख के समान किसने बनवाया था?
3) कौन था वह ब्रह्मयोद्धा, जिसके पास ब्रह्मास्त्र जैसी अनोखी शक्तियाँ थीं?
4) कौन थी देवी भद्रवाहिनी, जिनके कुण्डल में चमत्कारी शक्तियाँ भरी थीं?
5) ब्रह्मदेव की अक्षमाला, ब्रह्मांड को किस प्रकार नियंत्रित करती थी?
6) क्या था बादलों के मध्य छिपे सूर्यनगरम् का रहस्य?
7) ब्रह्मदेव रात्रिनौका में बैठकर चन्द्रमा पर विचरण करने क्यों गये?
8) सूर्यजल से बनी प्रतिमाओं का क्या रहस्य था?
9) ब्रह्मदेव को किस कारण से त्रिविवाह करना पड़ा?
10) सहस्त्रमहल में जल रही ब्रह्मज्योति का क्या रहस्य था?
11) नागधरा में फैले विषघात रोग का क्या रहस्य था? क्या नीलांगी ज्ञानगंज जाकर सहस्त्रदल कमल को ला पाई?
12) क्या ब्रह्मावली का निर्माण स्वयं ब्रह्मदेव ने किया था?
12) क्या आर्यन पंचतत्व परीक्षा को पास कर शलाका से विवाह कर सका?

ऐसे ही असंख्य रहस्यों को जानने के लिये आइये पढ़ते हैं, रहस्य, रोमांच व पौराणिक घटनाओं से भरी हुई एक ऐसी कथा, जिसकी आप सभी को पिछले एक वर्ष से प्रतीक्षा थी। जिसका नाम है-
“ब्रह्मकलश – दिव्य अमृत पात्र”

Description

ब्रह्मकलश: दिव्य अमृत पात्र

लेखक – शिवेंद्र सूर्यवंशी 

हिमालय- पृथ्वी की सबसे श्रेष्ठतम् पर्वत श्रृँखला, जो अपने अंदर हजारों रहस्यों को छिपाये हुए है। हिमालय- देवताओं का वह स्थान, जो आज भी पौराणिक स्मरणों से भरा हुआ है और इसके कण-कण में पवित्रता बिखरी हुई है। लोग कहते हैं कि आज भी देवता इसी स्थान पर निवास करते हैं। इसी हिमालय में अपराजेय कैलाश पर्वत भी है और माँ गंगे की कल-कल करती हुई पवित्र धारा का उद्गम भी। इसी हिमालय पर बाघम्भरधारी भोलेनाथ का निवास भी है और चतुर्मुखी परम पिता ब्रह्मदेव की अद्भुत छिपी हुई नगरी भी।

हिमालय के अति दुर्गम क्षेत्र में एक ऐसी अद्भुत नगरी है, जिसे ज्ञानगंज के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार ज्ञानगंज का निर्माण स्वयं ब्रह्मदेव ने किया था। ज्ञानगंज को तिब्बती भाषा में शांग्री-ला, बुद्धिष्ठ भाषा में शंभाला व संस्कृत भाषा में सिद्धआश्रम के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि ब्रह्मदेव ने ज्ञानगंज का निर्माण, समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत को छिपाने के लिये किया था। परंतु उसी अमृत के प्रभाव से यह पूरा स्थान अमृतमई हो गया। यह स्थान एक अलग आयाम में स्थित है, इसलिये यहाँ पर समय पूर्ण रुप से रुक जाता है। समय के रुकने के कारण यहाँ पर रहने वाला व्यक्ति, अमरत्व को प्राप्त कर लेता है। इस स्थान पर प्रकृति का कोई नियम कार्य नहीं करता? यहाँ विशाल पत्थर वायु में विचरण करते हैं। कहते हैं कि इस स्थान पर ब्रह्मदेव ने एक ऐसी दैवीय शक्ति को रखा है, जो इस स्थान को दुनिया की दृष्टि से छिपाए रखती है।

देवयोद्धा आर्यन जब चमत्कारी विद्यालय ‘वेदालय’ से शिक्षा प्राप्त कर बाहर निकला, तो उसने ब्रह्मांड रक्षक बनने के स्थान पर, शलाका से विवाह करने का विकल्प चुना। परंतु जब आर्यन को अपनी अल्प आयु के बारे में ज्ञात हुआ, तो उसे अमृत की आवश्यकता महसूस हुई। तब आर्यन अमृत को प्राप्त करने के लिये ज्ञानगंज की ओर चल दिया। परंतु अमृत को प्राप्त करने के मार्ग में, आर्यन को अनेकों योद्धाओं व रहस्यमई शक्तियों से टकराना पड़ा। तो आइये इन रहस्यों की गठरी पर लगी एक-एक गाँठ को शनैः-शनैः खोलने का प्रयास करते हैं-
1) स्वर्णाक्ष द्वीप की सुनहरी रेत का क्या रहस्य था?
2) महाकाल पर्वत के शिखर को महादेव के मुख के समान किसने बनवाया था?
3) कौन था वह ब्रह्मयोद्धा, जिसके पास ब्रह्मास्त्र जैसी अनोखी शक्तियाँ थीं?
4) कौन थी देवी भद्रवाहिनी, जिनके कुण्डल में चमत्कारी शक्तियाँ भरी थीं?
5) ब्रह्मदेव की अक्षमाला, ब्रह्मांड को किस प्रकार नियंत्रित करती थी?
6) क्या था बादलों के मध्य छिपे सूर्यनगरम् का रहस्य?
7) ब्रह्मदेव रात्रिनौका में बैठकर चन्द्रमा पर विचरण करने क्यों गये?
8) सूर्यजल से बनी प्रतिमाओं का क्या रहस्य था?
9) ब्रह्मदेव को किस कारण से त्रिविवाह करना पड़ा?
10) सहस्त्रमहल में जल रही ब्रह्मज्योति का क्या रहस्य था?
11) नागधरा में फैले विषघात रोग का क्या रहस्य था? क्या नीलांगी ज्ञानगंज जाकर सहस्त्रदल कमल को ला पाई?
12) क्या ब्रह्मावली का निर्माण स्वयं ब्रह्मदेव ने किया था?
12) क्या आर्यन पंचतत्व परीक्षा को पास कर शलाका से विवाह कर सका?

ऐसे ही असंख्य रहस्यों को जानने के लिये आइये पढ़ते हैं, रहस्य, रोमांच व पौराणिक घटनाओं से भरी हुई एक ऐसी कथा, जिसकी आप सभी को पिछले एक वर्ष से प्रतीक्षा थी। जिसका नाम है-
“ब्रह्मकलश – दिव्य अमृत पात्र”

Additional information

Weight 0.35 kg
Dimensions 22 × 13 × 3 cm

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