Description
धुरंधर – सनक शिरोमणि
लेखक – देवेन्द्र पाण्डेय
पृष्ठ : 228
इंस्पेक्टर गोकुल दुबे का जन्म ऐसे नक्षत्र हुआ था कि गोकुल और बवाल एक दूसरे के पर्याय बन गये। सनकी, उद्दंड किंतु गजब के मेधावी गोकुल ने जो भी सोचा उसे पाकर ही दम लिया। जिसके पीछे पड़ गया समझो उसका सर्वनाश हो ही गया। फिर कुछ ऐसा हुआ जिससे उसका सारा अहंकार और भौकाल चूर-चूर हो गया। सारी धुरंधरई हवा हो गई, जिंदगी एक झटके में बदल गई। वह ऐसे मोड़ पर आकर खड़ा हो गया जहां अचानक सैकड़ों दुश्मन उसकी जान के प्यासे थे। वह उस मुकाम पर खड़ा था जहाँ अनगिनत दुश्मन हर तरफ घात लगाए बैठे थे, और उसकी जान अब उनकी सबसे बड़ी चाहत बन चुकी थी। लेकिन अंडरवर्ल्ड यह नहीं जानता था उन्हें जिसकी तलाश है वह खुद उनके सामने आने के लिए बेचैन है।
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