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Savyasachi Shrinkhla | Akash Pathak || सव्यसाची शृंखला | आकाश पाठक

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सव्यसाची – वर्षों पूर्व शांति स्थापित करने के लिए जिस एकद्वीप का विभाजन हुआ था, आज वही एकद्वीप खड़ा है एक भीषण युद्ध की विभीषिका पर। दक्षिणांचल का महाराज शतबाहु जल दस्युओं की सहायता से पुनः अखंड एकद्वीप का निर्माण करना चाहता है, परंतु उसके परिणाम सबके लिए भयावह होने वाले हैं।

अग्निरथी – नियमों के विरुद्ध मंत्र विद्या का प्रयोग करने के कारण कौस्तुभ को मिला है दंड। क्या एक अंतहीन मार्ग पर खड़ा कौस्तुभ अपने जीवन को एक नई दिशा दे पायेगा? वर्षाणों के आक्रमण से एक बार पुनः रक्तरंजित हो चुकी है उत्तराँचल की भूमि। अपने अतीत से जूझता अरिदमन क्या इन दुर्दांत हत्यारों को रोक पायेगा? विशाल मरुस्थल के गर्भ से निकला एक प्राचीन रहस्य जो एकद्वीप के वर्तमान और भविष्य पर है संकट।

मृत्युजीवी – युद्ध के लिए आमने सामने खड़ी हैं दो सेनायें! कौस्तुभ की सहायता से उत्तराँचल की सेना प्रसान नगर के युद्ध में विजयी हो चुकी है, और अब उनका लक्ष्य है दक्षिणांचल की सेना को पराजित करना। परंतु जिस सेना में आदिपशु को नियंत्रित करने वाला शिखी है और दुर्दांत जल दस्यु हैं, क्या उनपर विजय पाना संभव है? क्या आत्म संदेह से ग्रसित कौस्तुभ और अपने अतीत के रहस्य में उलझे अरिदमन उत्तराँचल की सहायता कर पायेंगे? शतबाहु को प्राप्त हो चुकी है एक ऐसी शक्ति जिसने उसे बना दिया है मृत्युजीवी; अब उसे मारना संभव नहीं। वर्षों पूर्व उसने अखंड एकद्वीप का जो स्वप्न देखा था, वह अब पूर्ण होने वाला है। यह कथा है उस युद्ध की जिसने एकद्वीप के पुनर्स्थापना की नींव रखी।

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Description

सव्यसाची शृंखला

लेखक – आकाश पाठक 

पृष्ठ : 980

सव्यसाची – वर्षों पूर्व शांति स्थापित करने के लिए जिस एकद्वीप का विभाजन हुआ था, आज वही एकद्वीप खड़ा है एक भीषण युद्ध की विभीषिका पर। दक्षिणांचल का महाराज शतबाहु जल दस्युओं की सहायता से पुनः अखंड एकद्वीप का निर्माण करना चाहता है, परंतु उसके परिणाम सबके लिए भयावह होने वाले हैं।

अग्निरथी – नियमों के विरुद्ध मंत्र विद्या का प्रयोग करने के कारण कौस्तुभ को मिला है दंड। क्या एक अंतहीन मार्ग पर खड़ा कौस्तुभ अपने जीवन को एक नई दिशा दे पायेगा? वर्षाणों के आक्रमण से एक बार पुनः रक्तरंजित हो चुकी है उत्तराँचल की भूमि। अपने अतीत से जूझता अरिदमन क्या इन दुर्दांत हत्यारों को रोक पायेगा? विशाल मरुस्थल के गर्भ से निकला एक प्राचीन रहस्य जो एकद्वीप के वर्तमान और भविष्य पर है संकट।

मृत्युजीवी – युद्ध के लिए आमने सामने खड़ी हैं दो सेनायें! कौस्तुभ की सहायता से उत्तराँचल की सेना प्रसान नगर के युद्ध में विजयी हो चुकी है, और अब उनका लक्ष्य है दक्षिणांचल की सेना को पराजित करना। परंतु जिस सेना में आदिपशु को नियंत्रित करने वाला शिखी है और दुर्दांत जल दस्यु हैं, क्या उनपर विजय पाना संभव है? क्या आत्म संदेह से ग्रसित कौस्तुभ और अपने अतीत के रहस्य में उलझे अरिदमन उत्तराँचल की सहायता कर पायेंगे? शतबाहु को प्राप्त हो चुकी है एक ऐसी शक्ति जिसने उसे बना दिया है मृत्युजीवी; अब उसे मारना संभव नहीं। वर्षों पूर्व उसने अखंड एकद्वीप का जो स्वप्न देखा था, वह अब पूर्ण होने वाला है। यह कथा है उस युद्ध की जिसने एकद्वीप के पुनर्स्थापना की नींव रखी।

Additional information

Weight 0.35 kg
Dimensions 22 × 13 × 3 cm

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