Description
चौखम्बा की छाया
लेखक – देवेन्द्र पाण्डेय
पृष्ठ – 188
कभी तेज धूप, कभी ठिठुरती ठंडी रातें, कभी बरसात तो कभी बर्फबारी। मैदानों से आरम्भ होकर बलखाते पहाड़ी रास्तों से होते हुए घने जंगल और कभी ना खत्म होने वाले रास्तों की चढाई से लेकर एक दैवीय अनुभूति को प्राप्त करने तक का अनुभव। बहती नदियां, ऊंचे पहाड, बियावान घने जंगल, आकाश को छूते ग्लेशियर्स, गहरे दर्रे, पल पल बदलता मौसम। प्रकृति के हर रूप हर प्रकार का अनुभव हमने 8 दिन और 75 मील की पैदल यात्रा के दौरान कर लिया था। बर्फबारी के बीच बिना किसी सुरक्षा उपायों और गर्म कपड़ों के घण्टो अकेले फंसने के बाद साक्षात मृत्यु से साक्षात्कार तक पहुंचने का अनुभव हुआ। इस यात्रा में केवल एक ही साथी था जो छत्र की भांति हमेशा मेरे साथ हर परिस्थिति में खड़ा था, वह था पर्वतराज चौखम्बा।
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