Description
मिर्ज़ा बेईमान
लेखक – शुभानन्द
पृष्ठ – 252
यमदूत को चकमा देकर मौत के चंगुल से बाहर निकल आया है वह शख्स जिसके शातिर दिमाग और खतरनाक पैंतरों से ड्रग्स के बिजनस में भारी उथल पुथल मची हुई थी।
अभिषेक मिश्रा उर्फ़ मिर्ज़ा एक बार फिर अपने पैरों पर उठ खड़ा हुआ है। वह अब पहले से भी ज्यादा खतरनाक, ताकतवर और महत्वाकांक्षी हो चुका है। उसने ठान लिया है कि इस बार न तो पुलिस और न ही अपने किसी भी दुश्मन को वह खुद पर हावी होने का कोई मौका देगा।
उसका लक्ष्य है अपनी कर्मभूमि सूर्यगढ़ पर एक बार फिर से अपना वर्चस्व स्थापित करना पर यह कोई ऐसा काम नहीं था जिसे सिर्फ पैसे, बाहुबल और राजनीति के बदौलत किया जा सके और इस बात को मिर्ज़ा भी बखूबी जानता था पर वह तैयार था इस चुनौती के लिए।
पल-पल रोंगटे खड़े कर देने वाली थ्रिल, एक्शन और सस्पेंस से भरी एक धमाकेदार कहानी।
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