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Moscow My Love + I Hate You | Parshuram Sharma (मास्को माय लव + आई हेट यू | परशुराम शर्मा )

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कुछ उपन्यास लफ़्ज़ों के पेचोखम से तराश कर जीवन्त किए जाते हैं और अपनी अमिट छाप भी छोड़कर जाते हैं। बेशक ‘मास्को माय लव’ और ‘आई हेट यू’ भी लफ़्ज़ों का खेल है जिसका पहला संस्करण 1978 में प्रकाशित हुआ था। जैसी बलिदानी गाथा की सनसनीखेज कल्पना इस कथानक में की गयी, बेशक हक़ीक़त में वैसा कुछ नहीं हुआ पर यह ‘कथानक’ सच के आईने की एक ऐसी परछाई है जो धुंधली तो है पर साफ दिखाई देती है। भारत की आज़ादी के महानायक सुभाषचन्द्र बोस और आज़ाद हिन्द फौजियों के साथ क्या ऐसा ही गुज़रा होगा, इसकी कल्पना इस उपन्यास में की गयी है।

ये कथानक ज़बरदस्त एक्शन के साथ अपनी छाप छोड़ते हुए एक संदेश देता है-‘रंग दे बसंती चोला’

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Description

मास्को माय लव + आई हेट यू 

लेखक – परशुराम शर्मा  

पृष्ठ – 296

कुछ उपन्यास लफ़्ज़ों के पेचोखम से तराश कर जीवन्त किए जाते हैं और अपनी अमिट छाप भी छोड़कर जाते हैं। बेशक ‘मास्को माय लव’ और ‘आई हेट यू’ भी लफ़्ज़ों का खेल है जिसका पहला संस्करण 1978 में प्रकाशित हुआ था। जैसी बलिदानी गाथा की सनसनीखेज कल्पना इस कथानक में की गयी, बेशक हक़ीक़त में वैसा कुछ नहीं हुआ पर यह ‘कथानक’ सच के आईने की एक ऐसी परछाई है जो धुंधली तो है पर साफ दिखाई देती है। भारत की आज़ादी के महानायक सुभाषचन्द्र बोस और आज़ाद हिन्द फौजियों के साथ क्या ऐसा ही गुज़रा होगा, इसकी कल्पना इस उपन्यास में की गयी है।

ये कथानक ज़बरदस्त एक्शन के साथ अपनी छाप छोड़ते हुए एक संदेश देता है-‘रंग दे बसंती चोला’

Additional information

Weight 300 kg
Dimensions 22 × 12 × 1.4 cm

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