Description
कंकाल टाइगर
लेखक – परशुराम शर्मा
पृष्ठ – 288
तीसरे विश्वयुद्ध में दो सेनायें आमने-सामने हैं।
एक तरफ संसार की नंगी हो चुकी भौतिक आयाम की सभ्यता है, जिसके पास परमाणु बम है, हाइड्रोजन बम है, अंतरिक्ष तक को भेदने वाली मिसाइलें हैं, केमिकल हथियार हैं, जैविक शस्त्र हैं, खौफनाक गर्जन करते, उड़ते हुए विमान हैं। तोपों के दहाने हैं, सागर की मारक-परमाणु युक्त सबमरीन हैं, जंगी समुद्री बोटें हैं।
दूसरी तरफ फोर्थ डायमेंशन का नायक ‘कंकाल टाइगर’ है, जिसके पास प्रेत सेना है। वितल लोक (पाताल) की असीम शक्ति कालका है।
कलयुग की अंतिम हाहाकारी समर में धमाकों से गूँजते शहर, टुकड़ों-टुकड़ों में बिखरती महाशक्तियाँ, भौतिक ऐश्वर्य के अंत के बीच कौन हैं वो खुशनसीब नौ लाख इंसान, जो फिर से एक नए युग का आगाज करेंगे और धरती वैसी ही होगी जैसी लाखों-करोड़ों वर्ष पहले थी?
जादूगर लेखक परशुराम शर्मा की कल्पना से उठता एक तूफान…
कंकाल टाइगर।
Nk –
Jabardast 👍👍👌👌